विजयनगर साम्राज्य


विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका औपचारिक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इस राज्य की १५६५ में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और ८० वर्ष चला। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी इसका प्रतिद्वंदी मुस्लिम बहमनी सल्तनत था

उत्पत्ति

इस साम्राज्य की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न दंतकथाएँ भी प्रचलित हैं इनमें से सबसे अधिक विश्वसनीय यही है कि संगम के पुत्र हरिहर तथा बुक्का ने हम्पी हस्तिनावती राज्य की नींव डाली और विजयनगर को राजधानी बनाकर अपने राज्य का नाम अपने गुरु के नाम पर विजयनगर रखा [1]
दक्षिण भारत में मुसलमानों का प्रवेश अलाउद्दीन खिल्जी के समय हुआ था लेकिन अलाउद्दीन उन राज्यों का हराकर उनसे वार्षिक कर लेने तक ही सीमित रहा मुहम्मद बिन तुगलक ने दक्षिण में साम्राज्य विस्तार के उद्येश्य से कम्पिली पर आक्रमण कर दिया और कम्पिली के दो राज्य मंत्रियों हरिहर तथा बुक्का को बंदी बनाकर दिल्ली ले आया इन दोनों भाइयों द्वारा इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद इन्हें दक्षिण विजय के लिए भेजा गया। माना जाता है कि अपने इस उद्येश्य में असफलता के कारण वे दक्षिण में ही रह गए और विजयारण्य नामक सन्त के प्रभाव में आकर हिन्दू धर्म को पुनः अपना लिया इस तरह मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ही भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की गई

साम्राज्य विस्तार

विजयनगर की स्थापना के साथ ही हरिहर तथा बुक्का के सामने कई कठिनाईयां थीं वारंगल का शासक कापाया नायक तथा उसका मित्र प्रोलय वेम और वीर बल्लाल तृतीय उसके विरोधी थे देवगिरि का सूबेदार कुतलुग खाँ भी विजयनगर के स्वतंत्र अस्तित्व को नष्ट करना चाहता था हरिहर ने सर्वप्रथम बादामी, उदयगिरि तथा गुटी के दुर्गों को सुदृढ़ किया उसने कृषि की उन्नति पर भी ध्यान दिया जिससे साम्राज्य में समृद्धि आयी होयसल साम्राट वीर बल्लाल मदुरै के विजय अभियान में लगा हुआ था इस अवसर का लाभ उठाकर हरिहर ने होयसल साम्राज्य के पूर्वी बाग पर अधिकार कर लिया। बाद में वीर बल्लाल तृतीय मदुरा के सुल्तान द्वारा 1342 में मार डाला गया बल्लाल के पुत्र तथा उत्तराधिकारी अयोग्य थे इस मौके को भुनाते हुए हरिहर ने होयसल साम्राज्य पर अधिकार कर लिया आगे चलकर हरिहर ने कदम्ब के शासक तथा मदुरा के सुल्तान को पराजित करके अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली
हरिहर के बाद बुक्का सम्राट बना हंलाँकि उसने ऐसी कोई उपाधि धारण नहीं की उसने तमिलनाडु का राज्य विजयनगर साम्राज्य में मिला लिया कृष्णा नदी को विजयनगर तथा बहमनी की सीमा मान ली गई बुक्का के बाद उसका पुत्र हरिहर द्वितीय सत्तासीन हुआ हरिहर द्वितीय एक महान योद्धा था उसने अपने भाई के सहयोग से कनारा, मैसूर, त्रिचनापल्ली, काञ्ची, चिंगलपुट आदि प्रदेशों पर अधिकार कर लिया

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